The EG Store
The EG Store is invent fashion.
Thursday, 22 November 2018
Guru Nanak Jayanti 2018: इस वजह से मनाया जाता है पर्व, ये हैं प्रमुख गुरुद्वारा साहिब
गुरु नानक जयंती के दिन गुरु नानक जी का जन्म हुआ था। वे सिख धर्म के पहले गुरु थे। इस जयंती को गुरु पर्व से भी माना जाता है। 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नामक स्थान पर जन्में गुरु नानक का जन्मदिन हिंदू पंचांग के हिसाब से कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। इस बार यह 23 नवंबर को है। गुरु पर्व सिखों का सबसे महत्वपू्र्ण पर्वों में से एक है। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब में लिखे नानक देव की शिक्षाएं पढ़ी जाती हैं। गुरु नानक जी से संबंधित कुछ प्रमुख गुरुद्वारा साहिब के बारे में बताने जा रहे हैं।
गुरुद्वारा कंध साहिब (गुरुदासपुर)
गुरु नानक जयंती पर प्रमुख गुरुद्वारा साहिब की बात करें तो बटाला के गुरुदासपुर में स्थित गुरुद्वारा कंध साहिब प्रमुख है। यहां गुरु नानक की विवाह वर्षगांठ पर हर साल उत्सव का आयोजन किया जाता है।
गुरुद्वारा गुरु का बाग
गुरुद्वारा गुरु का बाग कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में स्थित है। बताते हैं कि यह नानक देवजी का घर था। इसी घर में दो उनके दो बेटों का जन्म हुआ था। इन दोनों का नाम श्रीचंद और बाबा लक्ष्मीदास नाम था। गुरुनानक जयंती में इस गुरुद्वारे का भी काफी महत्व है।
कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में ही स्थित इस गुरुद्वारे के बारे में मान्यता है कि नवाब दौलतखान लोधी ने किसी गड़बड़ी की आशंका के चलते नानकदेव जी को जेल भेज दिया था। कुछ दिनों बाद दौलतखान लोधी को अपनी गलती का अहसास हो गया। इसके बाद उन्होंने फौरन गुरु नानक देवजी से माफी मांगी।
गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक
गुरुदासपुर में स्थित इसके बारे में मान्यता है कि नानकदेव जी ने रावी नदी के समीप डेरा जमाया था। उनकी उम्र जब 70 साल की हो गई तो उन्होंने 1539 ई. में परम ज्योति में विलीन हो गए। इस वजह से सिख और गुरु नानक देव जी के भक्तों के बीच डेरे की काफी मान्यता है।
गुरुद्वारा हाट साहिब (कपूरथला)
गुरुनानक ने बहनोई जैराम के माध्यम से सुल्तानपुर के नवाब के यहां शाही भंडार के देखरेख की नौकरी प्रारंभ की। वे यहां पर मोदी बना दिए गए। नवाब युवा नानक से काफी प्रभावित थे। यहीं से नानक को 'तेरा' शब्द के माध्यम से अपनी मंजिल का आभास हुआ था।
गुरुद्वारा अचल साहिब (गुरुदासपुर) अपनी यात्राओं के दौरान नानकदेव यहां रुके और नाथपंथी योगियों के प्रमुख योगी भांगर नाथ के साथ उनका धार्मिक वाद-विवाद यहां पर हुआ। योगी सभी प्रकार से परास्त होने पर जादुई प्रदर्शन करने लगे। नानकदेवजी ने उन्हें ईश्वर तक प्रेम के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है, ऐसा बताया।
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)